Fir Manaayega kon…?
बहुत सुंदर कविता…
मै रूठा तो तुम भी रूठ गए,
तो फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी,
तो फिर उस खाई को भरेगा कौन ?
मै चुप, तुम भी चुप,
तो फिर इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन ?
बात छोटी सी लगा लोगे दिल से,
तो फिर ये रिश्ता निभाएगा कौन ?
बिछड़कर दुखी मै भी और तुम भी,
तो फिर हाथ बढ़ाएगा कौन ?
ना मै राजी, ना तुम राजी,
तो फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखायेगा कौन ?
डूब जाएगा कभी ये दिल यादो मेँ,
तो फिर धैर्य बढ़ाएगा कौन ?
जिंदगी किसको मिली है सदा के लिए,
तो फिर इन लम्हो मेँ अकेला रह जाएगा कौन?
मूंद ली दोनों मेँ से अगर किसी दिन एक ने आँखे,
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?
Fir Manaayega kon…?