Rakho hoslaa…..
कभी ना कहो की दिन अपने ख़राब है,
समझ लो की हम काँटों से घिरे गुलाब है।
रखो “हौसला” वो मंजर भी आएगा,
प्यासे के पास चलकर “समंदर” भी आएगा……..!
कभी ना कहो की दिन अपने ख़राब है,
समझ लो की हम काँटों से घिरे गुलाब है।
रखो “हौसला” वो मंजर भी आएगा,
प्यासे के पास चलकर “समंदर” भी आएगा……..!