Har Pita ke Bhagya me Betiya nhi hoti…
हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती….
राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पहुंचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया, तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए, जनक जी ने दशरथ जी के हाथो को थाम लिया और कहा महाराज आप बड़े हैं वर पक्ष वाले हैं ये उल्टी गंगा कैसे बहा हैं, इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही, कि महाराज आप दाता है, कन्यादान कर रहे हैं, मैं तो याचक हूँ, आपके द्वारा कन्या लेने आया हूँ, अब आप ही बताइए दाता और याचक में कौन बड़ा है यह सुनकर जनक जी के नेत्रों से अश्रु धारा बह निकली, भाग्यशाली है जिनके घर होती है बेटियां, हर बेटी के भाग्य में पिता होता है, लेकिन हर पिता के भाग्य में बेटियां नहीं होती।
ओस की बूंदों की तरह होती है बेटियां, आंखों में आंसू फिर भी हंसती है बेटियां, बेटा तो एक कुल को रोशन करता है, दो दो कुल को रोशन करती है बेटियां🥰🥰🥰🥰
Har Pita ke Bhagya me Betiya nhi hoti…