Ek Pita ki kahani…
मेरा बेटा जब मेरे कंधे पर खड़ा हुआ, मुझ ही से कहने लगा देखो पापा में आपसे बड़ा हो गया, मैंने कहा बेटा इस खूबसूरत ग़लतफ़हमी में भले ही तू खुश रहना मगर मेरा हाथ पकडे रखना, जिस दिन ये हाथ छूट जाएगा बेटा रंगीन सपना भी टूट जाएगा, दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नहीं है जितनी तू देख रहा है, देख तेरे पाँव तले अभी जमीन भी नहीं है, में तो बाप हूँ बेटा बहुत खुश हो जाऊँगा, जब तू कंधे पर नहीं जमीन पर खड़ा हो जाएगा, उस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा , ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा, और अंत में तेरे ही कंधे पर दुनिया से चला जाएगा।
किसी ने खूब ही कहा है…. पिता बेटे का रिश्ता बहुत अलग होता है, माँ तो बोल देती है “I Love You” लेकिन पिता कभी नहीं बोलता और माँ के लिए बहुत लिखा गया है , लेकिन पिता के लिए बहुत कम लिखा गया है, पिता रोटी है, कपडा है, माकन है, पिता नन्हे से परिंदे का खुला आसमान है पिता से घर में रौनक है, पिता से माँ की चूड़ी, बिंदी और सुहाग है, पिता है तो बच्चो के सारे सपने अपने है और पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने है…!!
Ek pita ki kahani….